MP मुख्यमंत्री के OSD का आरोप: भोपाल में एक व्यक्ति, जो मुख्यमंत्री का OSD बनकर सरकारी कर्मचारियों से 20 लाख रुपये की ठगी कर रहा था। इस ठगी की विधि में उन्होंने लोगों को ट्रांसफर का झांसा देकर पैसे लूटे। पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी हुई है और उनके खाते में पैसे नहीं, बल्कि दूसरे लोगों के खाते में पहुंचाए गए। इस घटना में अब तक लगभग 20 लाख रुपये की ठगी का आरोप लगा है। दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने लोगों को झांसे में लेते हुए बहुत से सरकारी कर्मचारियों से पैसे ठग लिए हैं। आरोपियों को मोबाइल नंबर लिस्ट भेजकर वे फर्जी ट्रांसफर लिस्ट के आधार पर पैसे लूटते थे। इसके बाद जिले से शिकायत के आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई है।
सरकारी कर्मचारियों को फर्जी तरीके से उनके तबादले का वादा करके पैसे लिए
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का ओएसडी बताकर लोगों को ठगने का काम कर रहे थे साइबर एसीपी सुजीर तिवारी के मुताबिक शिकायत मिली थी। सरकारी कर्मचारियों की तरफ से जिसके बाद साइबर पुलिस ने इस पूरे मामले की तफ्तीश शुरू की कई टेक्निकल एविडेंस ऐसे सामने आए जिससे इस ठगी का खुलासा हुआ। और इसके बाद जब कड़िया जोड़नी शुरू की गई। तो फिर आरोपी गिरफ्तार हो गए इस मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।
साइबर पुलिस की कार्रवाई के बाद दो आरोपी गिरफ्तार
MP मुख्यमंत्री के OSD का आरोप: दरअसल साइबर पुलिस को यह शिकायत मिली थी कि पिछले कुछ दिनों से एक गिरोह सक्रिय है। जो लोगों से ट्रांसफर रुकवाने के नाम पर मोटी रखम ऐठ रहे हैं। सरकारी कर्मचारियों को पहले डर दिखाया जाता था कि उनका तबादला हो गया और उसके बाद उनके ट्रांसफर रुकवाने के नाम पर उनसे रकम टली जाती है ठगी का ये जो तरीका था। इसकी वजह से ही एक तरीके से देखा जाए तो काफी ज्यादा संवेदनशील मामले को देखते हुए और क्योंकि सीएम कार्यालय का नाम जुड़ गया था।
उनके ओएसडी का नाम इसमें बताया गया था तो कहीं ना कहीं पुलिस काफी ज्यादा सक्रिय हुई और पूरे मामले की तेजी से तफ्तीश शुरू की गई। तफ्तीश के दौरान पुलिस ने जब कड़ियां जोड़ी तो दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया गिरफ्तार में इनसे पूछताछ की गई पूछताछ में इन्होंने तरीका बताया कि कैसे यह वारदात को अंजाम देते थे कैसे यह अपने शिकार को तलाशते थे।
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मध्य प्रदेश पुलिस ने बताया कि जब आरोपियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि वह अपने फर्जी तरीके से कर्मचारियों से मोटी रकम लेते थे। इसके साथ ही आरोपियों ने बताया कि वह सबसे पहले अपने फर्जी तबादला सूची को शेयर करते थे इस सूची में कर्मचारियों का नाम होता था। जिससे कर्मचारियों को अपने ट्रांसफर होने का डर लगता और कर्मचारी अपना ट्रांसफर रुकवाना चाहते थे उनको आरोपी झांसी में लेते जहां पर उनसे मोटी रकम लेते थे।
आरोपियों से की जा रही है जांच
पुलिस ने बताया कि ठगी के मामले में साइबर पुलिस से शिकायत की थी जिसके बाद पुलिस ने इस पूरे मामले की तफ्तीश शरू पैसा यह जो ट्रांसफर करवाते थे। पुलिस ने फिलहाल इन्हें गिरफ्तार कर इनसे पूछताछ शुरू कर दी है। यह भले ही एक मामला था जो पुलिस ने सुलझा लिया हो लेकिन अब पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि यह दोनों आरोपी आखिर कब से इस धंधे में शामिल है। और अब तक कितने लोगों को यह अपनी ठग का शिकार बना चुके हैं।