मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 (MPPSC ) में प्रदेश सरकार द्वारा किए गए संशोधन को चुनौती देने वाले मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से प्रस्तुत आवेदन को निरस्त किया गया। बता दे की हाई कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा नियम से जुड़े मामले में समान रिलीफ वाला आवेदन निरस्त करने के बाद MPPSC के एक अभ्यर्थी द्वारा दूसरा आवेदन पेश किया गया जिस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा “कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”।
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदन के मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा याचिकाकर्ता को यह चेतावनी दी गई के किसी भी प्रकार की कोई कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता MPPSC अभियार्थी भानु प्रताप सिंह तोमर के ऊपर याचिका निरस्त हो जाने के बाद दूसरा आवेदन पेश करने के अपराध में 20 हज़ार रूपये का जुर्माना लगाया है और दूसरी याचिका को खारिज कर दिया है।
क्या था पूरा मामला
दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 में प्रदेश शासन द्वारा 17 फरवरी 2020 को संशोधन निरस्त करते हुए 20 दिसंबर 2021 को संशोधन करके व्यवस्था की गई जिसके अनुसार MPPSC की चयन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्ग के अभ्यर्थियों द्वारा भरे जाने का निर्णय लिया गया, साथ ही इस व्यवस्था को PSC 2019 के सभी भर्ती परीक्षा में लागू करने के निर्देश विभाग को दिए गए।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की MPPSC के लिए की गई इस व्यवस्था से पीड़ित होकर MPPSC अभियार्थी भानु प्रताप सिंह ने अधिवक्ता पराग तिवारी, अंशुल तिवारी और कई फखरुद्दीन एवं सुप्रिया सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जिसमें PSC की प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा में, अनारक्षित वर्ग में शामिल नहीं किए जाने की मांग भानु प्रताप सिंह तोमर ने की, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा उस याचिका को खारिज कर दिया गया जिसके तत्पश्चात दोबारा याचिका दर्ज की गई जिस पर हाईकोर्ट ने नाराज की जताई।
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हाई कोर्ट ने लगाया याचिकाकर्ता पर ₹20000 का जुर्माना
दरअसल मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट में MPPSC अभ्यर्थी भानु प्रताप सिंह तोमर द्वारा याचिका खारिज हो जाने के बाद पुनः दूसरी याचिका दाखिल करने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने कहा “कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा”। कोर्ट ने याचिकाकर्ता भानु प्रताप सिंह तोमर पर 20 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है।