शिवराज सरकार की लाड़ली योजना: इतने वर्षों में यह पहली बार देखने को मिला जब चुनावी नतीजों को लेकर राष्ट्र की हर वर्ग के लोगों में बहुत उत्सुकता है और आखिर हो भी क्यों न प्रदेश के नागरिकों ने चुनाव को प्राथमिकता देते हुए बढ़-चढ़ के वोटिंग की है। प्रदेश के नेताओं से लेकर आम नागरिकों के मन में भी ये सवाल तेजी से उठ रहा है कि आखिर उनके दिए हुए वोट के बाद प्रवेश में किसकी सत्ता बनेगी आखिर उन्होंने किस पार्टी को जिताना है और किस पार्टी को हराया?
इसके साथ ही सवाल यह भी उठता है कि 3 दिसंबर को चुनाव की घोषणा होने के बाद आखिर कौन प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा? इस प्रकार के कई सवालों के जवाबों का इंतजार प्रदेश की जनता को बहुत बेसब्री से है। अगर हम चुनावी मुद्दों की बात करें तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही सिर्फ प्रचार प्रसार और चुनावी रैलियों में अपना पूरा जोर झोंक दिया है।
शिवराज सरकार की लाड़ली योजना: लेकिन 165 जनसभाएं करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात करें तो उनकी जनसभाओं में केवल लाडली बहाना योजना के मुद्दे के कोई भी ऐसा मुद्दा उबर कर नहीं आया जो इस चुनाव को बीजेपी के पक्ष में पक्ष में कर उसे सफल बनाने में उपयोग का हो वही हम कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस से कमलनाथ के साथ-साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी जनसभाऐ और रैलियां करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
लाड़ली बहनों के भरोसे हैं मामा
अगर हम चुनावी मुद्दों की बात करें तो शिवराज सिंह चौहान ने पूरे महीने अभी तक जनसंपर्क और रैलियों में लाडली बहना योजना को महत्व देते हुए बार-बार प्रदेश की लाडली बहनों और लाडली लक्ष्मी को यह याद दिलाया है कि उन्हें चुनाव में किसको विजय बनाना है। अगर लाड़ली बहाने के मुद्दे को हटाकर देखा जाए तो कोई भी मुद्दा ऐसा नहीं है जो चुनाव के इर्द-गिर्द घुमता हो।
कांग्रेस ने पकड़ा सरकार बदलने का मुद्दा
जहां एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजना का जाप अलापते रहे तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार कमलनाथ ने भी जनता के बीच वर्तमान सरकार को बदलने का मुद्दा पकड़ा। जो कितना कारगर साबित होता है वहां 3 दिसंबर को चुनावी परिणाम घोषित होने के बाद ही पता चलेगा।
मोदी और राहुल भी हैं टक्कर में
चुनाव के प्रचार प्रसार की दौड़ में सिर्फ राजकीय नेता ही नहीं बल्कि केंद्रीय नेता नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी भी पीछे नहीं रहे क्योंकि जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक-एक दिन में 33 विशाल रैलियों को सम्बोधित किया तो वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी ने भी मतदाताओं के दिमाग में नए-नए मुद्दे भरने में कोई नहीं छोड़ि।
बीजेपी का दावा बहनों का मिलेगा पूरा समर्थन
मतदान के बाद चुनावी आंकड़ों को देखते हुए बीजेपी का ये दावा है कि प्रदेश की लाडली बहनों ने भैया शिवराज को बढ़ चढ़ कर वोट दिया है क्योंकि साल 2018 के मुकाबले इस बार महिला मतदाताओं की संख्या में बढ़ती हुई है लेकिन फिर भी पुरुष मतदाताओं के बराबरी में इनकी सांख्य दो फिसदी कम ही है। पिछली बार 54 जिले थे जहां महिला मतदान ज़्यादा हुए थे उस हिसाब से इस बार ऐसे जिले कम हैं उसके बावजूद महिला परेशानियों के आंकड़े सरकार के दावों को बढ़ावा देते हैं।
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