शीर्ष फसल पैदावार: आमतौर पर परंपरागत खेती के दौरान किसान एनपीके के स्थान पर रासायनिक खाद का इस्तेमाल सही प्रकार से नहीं कर पता है इसी कारण खेती में फसलों का उत्पादन प्रभावित होता। किसानों को यह पता नहीं रहता की रबी एवं खरीफ सीजन की फसलों के दौरान कौन-कौन सा रासायनिक खाद किस फसल के लिए प्रयुक्त होता है ऐसे में रासायनिक उर्वरक डीएपी और एनपीके फर्टिलाइजर्स डालने से खेती की लागत बढ़ जाती है लेकिन उत्पादन लागत के अनुरूप नहीं हो पता है।
बिना जानकारी के उपयोग में ना ले खाद तथा उर्वरक
शीर्ष फसल पैदावार: रबी एवं खरीफ दोनों फसलों के लिए एनपीके एवं डीएपी खाद की आवश्यकता होती है किसान दूसरों के द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार कभी भी कुछ भी अपनी फसलों में डाल देते हैं, जिससे की फसलों को बहुत नुकसान होता है। किसानों को इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए कि वह जो खाद तथा उर्वरक इस्तेमाल कर रहा है वह उनकी फसल के लिए बेहतर है या नहीं? ऐसे में आज हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा बताएंगे कि कौन सी फसल के लिए डीएपी ज्यादा बेहतर रहेगा या फिर एनपीके साथ ही साथ जानेंगे इन दोनों में क्या अंतर है।
डीएपी तथा एनपीके खाद
शीर्ष फसल पैदावार: कई बार ऐसा होता है कि किसान अपने खेत की मिट्टी को समझ नहीं पता है और दूसरों के द्वारा जो खाद बता दिया जाता है वह खाद अपने खेतों में डाल देता है। अधिकतर किसानों को यह नहीं पता होता है कि डीएपी तथा एनपीके में क्या अंतर है एवं इन्हें कब और कितना उपयोग में लेना चाहिए बता दें कि दोनों ही उर्वरक एनपीके तथा डीएपी अलग-अलग पोषक तत्व को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
डीएपी तथा एनपीके में क्या अंतर है
खेती किसानी के कार्यों में डीएपी एवं एनपीके दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले बात करते हैं डीएपी खाद की तो इसमें फसलों को दो प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं 18% नाइट्रोजन और 46% फास्फोरस मिलता है। वही एनपीके खाद की बात करें तो इसमें तीन प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम।
डीएपी एवं एनपीके में कौन ज्यादा अच्छा है
जैसा कि हमने ऊपर देखा कि डीएपी जिसमें सिर्फ दो प्रकार के पोषक तत्व (नाइट्रोजन एवं फास्फोरस) पाए जाते हैं वही एनपीके में तीन प्रकार के पोषक तत्व (नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम) पाए जाते हैं। इसी प्रकार देखा जाए तो डीएपी की तुलना में एनपीके पौधे को ज्यादा पोषक तत्व प्रदान करता है।
इसलिए किसान भाइयों को डीएपी की जगह एनपीके खाद का इस्तेमाल करना चाहिए यह उर्वरक एनपीके तथा डीएपी अलग-अलग रेश्यो में उपलब्ध हो सकता है लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि यदि आपकी मिट्टी का परीक्षण किया गया है और पोटेशियम की कमी नहीं देखने को मिलती है तो फिर आप फसल में डीएपी का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। बहुत से किसान भाई बिना मिट्टी का परीक्षण करवाए ही खाद्य तथा उर्वरक का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करते हैं जिससे उनकी मिट्टी की उर्वरकता क्षमता में कमी आती है अतः किसान भाइयों को जरूरी है कि वे अपनी कृषि भूमि का परीक्षण जरूर करवाए तथा उनके अनुसार ही उर्वरक का प्रयोग करें।
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पौधों में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम के फायदे
पौधे के जड़ों को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है यह पौधों के बढावर के लिए जरूरी पोषक तत्व है और इसकी कमी से पौधे की बढावर रुक जाती है। पौधे में हरा रंग क्लोरोफिल को बढ़ाता है यह पौधे के वानस्पतिक विकास के लिए जरूरी तत्व है पौधे की वृद्धि के लिए जरूरी प्रोटीन और विटामिन निर्माण के लिए नाइट्रोजन जरूरी है।
पौधे में फास्फोरस के फायदे
जड़ प्रणाली को विकसित करने में मदद करता है पौधे में स्वास्थ्य निर्माण तथा बीजों के वजन बढ़ाने में मदद करता है यह पौधे के तने और डंठल को मजबूती प्रदान करता है पौधों में नए फूल और फल बनने में मदद करता है यह फलों को आकार प्रदान करता है तथा परिपक्वता में मदद करता है दलहनी फसलों में जड़ों की ग्रंथियां के निर्माण के लिए आवश्यक होता है।