MP उच्च न्यायालय: हाल ही में मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित हाई कोर्ट की तरफ से महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल की एकल पीठ में अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े विवाद में मौजूद सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश जारी किया गया है। हाई कोर्ट द्वारा जारी आदेश में यह साफ कर दिया गया है कि मेहेज़ उत्तराधिकारी के प्रमाण पत्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति की मांगों को विभाग स्वीकार नहीं करेगा।
जबलपुर में स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश के विद्वान न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया गया है की अनुकंपा नियुक्ति किसी भी मृतक कर्मचारियों की निजी संपत्ति नहीं है इसके लिए सिर्फ उत्तर अधिकारी प्रमाण पत्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए मांग करना बिल्कुल गलत होगा इसको स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि उत्तराधिकारी सिर्फ मृतक के दायित्वों और अधिकारों का हकदार होता है अनुकंपा नियुक्ति का नहीं।
गोद लिए गए बच्चे को नहीं मिलेगी अनुकंपा नियुक्ति
MP उच्च न्यायालय: दरअसल जल संशोधन विभाग में कार्यरत स्वर्गीय प्रवीण कुमार मसूरकर के गोद लिए हुए पुत्र पवन कुमार मसूरकर ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी जिसके लिए उसे बालाघाट ट्रायल कोर्ट से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र भी मिला था जिसके आधार पर उसने हाई कोर्ट में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी जिसको हाई कोर्ट ने प्रमुख तीन बिंदुओं के आधार पर खारिज कर दिया है।
जिसमें प्रथम बिंदु के तहत अनुकंपा नियुक्ति के लिए गरीबी कोई पहलू नहीं है साथ ही दूसरी बिंदु यह की मृतक की विधवा को सरकार की तरफ से विधवा पेंशन दी जाती है और तीसरा और मुख्य बिंदु अनुकंपा नियुक्ति मृतक की निजी संपत्ति नहीं है जिस पर उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति के लिए मांग करें।
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किस मामले की हुई सुनवाई
बता दें जल संशोधन विभाग में कार्यरत स्व. प्रवीण कुमार मसूरकर की मृत्यु होने के दौरान उनके दत्तक पुत्र पवन कुमार मसूरकर ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग के लिए याचिका दायर की थी जिसके संबंध में जबलपुर के स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश में सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल ने फैसला सुनाते हुए यह साफ किया है कि उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग स्वीकार नहीं की जाएगी क्योंकि अनुकंपा नियुक्ति कर्मचारी की निजी संपत्ति नहीं है जिसका उत्तराधिकारी हकदार हो।