बालाघाट बहनें: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्व सहायता समूह को विभिन्न तरह के लाभ दिए जा रहे हैं और स्वरोजगारों से जोड़ा जा रहा है। इसी पहल में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से कुछ घरेलू महिलाओं ने हिम्मत दिखाई और खुद घर से निकलकर स्व सहायता समूह से जुड़ी और धीरे-धीरे गांव की 300 से ज्यादा महिलाएं SHG समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। और अपने स्वरोजगार के रूप में जैविक खेती कर रहीं हैं।
सबसे पहले बालाघाट से जुड़ी मीरा को मिला पति का सहयोग
बालाघाट बहनें: मध्य प्रदेश के बालाघाट में आज 300 से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई है। लेकिन सबसे पहले बालाघाट जिले के लांजी तहसील में एक छोटे से गांव बड़गांव में मीरा टिकेश्वर नाम की महिला ने हिम्मत दिखाई और अपने पति के सहयोग से आजीविका मिशन के द्वारा सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी और ऑर्गेनिक खेती कर आत्मनिर्भर बनी। मीरा टिकेश्वर द्वारा स्व समूह से जुड़कर आत्मनिर्भर बनने की पूरी कहानी महिलाओं को हौसला देती है और इसी वजह से आज 300 से ज्यादा महिलाएं इन समूह में जुड़ी हुई है।
स्व सहायता समूह से बदल रही है महिलाओं की किस्मत
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्व सहायता समूह को विभिन्न तरह के लाभ दिए जा रहे हैं ताकि महिलाएं भी अपने जीवन में आगे बढ़ें। लेकिन कुछ महिलाएं अभी भी ऐसी हैं जो इन समूह से जुड़ने में संकोच करती हैं तो उनके लिए मेरा टिकेश्वर एक बहुत अच्छा उदाहरण है कि वह भी आगे आए और अपने जीवन में कुछ अच्छा करें।
बालाघाट जिले की मीरा टिकेश्वर के जीवन में भी बहुत सारी परेशानी आई और मेरा टिकेश्वर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि “मैं घरेलू महिला थी पति विजय ही खेती में जाते थे और जो कमाई होती थी उसी से घर चलाना हमारी एक मजबूरी थी। मीरा ने आगे बताया कि वह स्वयं सहायता समूह से 2018 में जुड़ी है और उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई थी उनके पास दो एकड़ की जमीन है जिस पर जैविक खेती शुरू की। उन्होंने ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर तैयार किया जिससे खेत में गेहूं धान और मिर्च का उत्पादन बढ़ गया।
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मीरा टिकेश्वर की इस अनोखे कार्य की सभी सराहना कर रहे हैं और उनकी वजह से आज बालाघाट जिले में 300 से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ चुकी हैं और जैविक खेती पर बल दे रही है। मेरा टिकेश्वर के साथ आज बहुत सारे ग्रुप में महिलाएं हैं लगभग 45 से ज्यादा महिलाएं एवं सभी उनके साथ जैविक खेती कर रही हैं।
मीरा टिकेश्वर आज जैविक खेती के साथ-साथ एक फोटोकॉपी और किराना की दुकान भी चला रही हैं। उन्होंने 31 से ज्यादा स्व सहायता समूह के ग्रुप बनाएं और उसमें 300 से ज्यादा महिलाओं को जोड़ा। मेरा टिकेश्वर के सराहनीय कार्य की वजह से उन्हें CLF में कोषाध्यक्ष भी बनाया गया है।