सप्ताह में एक दिन: मध्यप्रदेश राज्य ने यह निर्देश जारी किए हैं कि अब बच्चों के स्कूल के बैग का वजन कम किया जाएगा। क्योंकि बच्चे कहीं ना कहीं मानसिक तनाव में आ जाते हैं। बड़े-बड़े बैग लेकर जाने से बच्चे कहीं ना कहीं परेशान रहते हैं। छोटे-छोटे बच्चों के बड़े-बड़े बैग उनके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक पॉलिसी बनाई है कि बच्चों को हफ्ते में 1 दिन स्कूल बैग नहीं ले जाना होगा।
मध्य प्रदेश के में एक दिन बिना बैग के बच्चे स्कूल जाएंगे
मध्य प्रदेश के स्कूलों में एक दिन बच्चे बिना बैग के स्कूल जाएंगे। पढ़ाई किताबों के बगैर होगी इसके अलावा क्लास टू तक बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा। हालांकि इस नीति पर सैद्धांतिक तौर पर मुहर 2022 में लगी हुई थी। लेकिन अब जो नए एकेडमिक सेशन शुरू होगा। सभी सरकारी और निजी स्कूलों में सप्ताह में एक दिन बिना बैग के क्लास होगी।
सप्ताह में एक दिन: स्कूली छात्रों के बस्ते का वजन भी तय किया जाएगा और इसकी हर 3 महीने में जांच होगी। दूसरी क्लास तक के छात्रों को कोई होमवर्क नहीं मिलेगा और तीसरी से पांचवी तक के बच्चों को हफ्ते में दो घंटे का ही होमवर्क दिया जा सकेगा। छठी से आठवी तक के बच्चों को रोजाना एक घंटे का होमवर्क दिया जा सकता है। 9 से लेकर 12 क्लास तक के बच्चों को2 घंटे का होमवर्क दिया जाना चाहिए।
नई शिक्षा नीति के तहत बस्तो का वजन भी तय
नई शिक्षा नीति के तहत बस्तो का वजन भी तय है। दूसरी तक के बच्चों के स्कूल बैग का वजन 1.6 किलो से 2. 2 किलो तक हो सकता है। तीसरी से पांचवीं तक के बस्ते का वजन 1.7 किलो से लेकर 2.5 किलो तक हो सकता है। क्लास सिक्सथ और सेवंथ के बच्चों का जो बैग है उसके वजन दो से 3 किलो हो सकते हैं। और आठवी के बच्चे ढाई से 4 किलो तक का बस्ता ले जा सकते हैं। जबकि नाइंथ और 10वीं क्लास के बच्चों का जो बैग है वह ढाई किलो से 4 किलो तक हो सकता है। नियम के मुताबिक स्कूल में बस्तो के वजन का यह चार्ट होना चाहिए स्कूल ऐसी रूटीन बनाएंगे।
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बच्चों के बैग का वजन नियमों के अनुसार निर्धारित होगा
जिसमें बच्चों को सारी किताबें और कॉपियां एक साथ ना लाने पड़े और यही नहीं आठवीं तक के विद्यार्थियों की जो अभ्यास पुस्तिकाएं हैं। यानी कि जो नोटबुक्स हैं और अन्य जरूरी सामग्री हैं वह स्कूल में ही रखने की व्यवस्था होगी तो जोर है। बच्चों पर तनाव घटाने को लेकर इसका पढ़ाई पर असर क्या पड़ेगा इससे कितना तनाव घट पाएगा।
बच्चों का ज्यादा वजन बैग का बढ़ता है तो इससे आर्थिक रूप से भी कई प्रकार की समस्याएं आती हैं। और ना सिर्फ बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। कई प्रकार की किताबें होती हैं कॉपियां होती हैं जो बोझ लेके बच्चे जाते हैं। कई बार हम देखते हैं कि प्रेयर में बच्चे गिर जाते हैं। और उनको कई प्रकार की हेल्थ इश्यूज भी होने लगते हैं तो कुछ ऐसे नियम लागू करने चाहिए जिससे बच्चों की किताबों का वजन कम हो जाए।