MP सरकार: कहा जाता है कि मध्यप्रदेश सरकार का निर्धारण शासकीय कर्मचारी द्वारा किया जाता है यही कारण है कि चुनाव से पहले कर्मचारियों को लुभाने के लिए सभी पार्टियों द्वारा हर संभव प्रयास किया जाता है। किंतु इस बार मध्य प्रदेश सरकार के असफल प्रयास के कारण कर्मचारियों को ना तो पुरानी पेंशन मिल रही है और ना ही केन्द्रीय कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता मिल पा रहा है। चुनावी दीपावली पर इतनी बुरी खबर पहले कभी नहीं देखी गई थी। अब नई सरकार ही कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का फैसला कर सकती है।
एमपी के सरकारी कर्मचारियों के लिए निराशाजनक खबर
MP सरकार: केंद्रीय कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 से 46% महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के समान तथा महंगाई भत्ता दिया जाएगा लेकिन महामारी के दौरान सरकार का यह क्रम टूट गया भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों और विधायकों को मिलने वाले सभी भत्ते नियमित रूप से वितरित किए जा रहे हैं किंतु कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढाए जाने का आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है।
आचार संहिता लगने के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार ने कोई प्रयास नहीं किया मतदान की तारीख भी आ गई है। सरकार की ओर से एक औपचारिक प्रस्ताव भेजा गया था जिसे चुनाव आयोग ने भी निरस्त कर दिया है।
कांग्रेस उठा रही है मौके का फायदा
MP सरकार: सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग पुरानी पेंशन की मांग कर रहा है उम्मीद की जा रही है कि चुनाव के कारण इस समस्या का कोई हल निकल आएगा किंतु सरकार की ओर से पुरानी पेंशन पर कोई चर्चा नहीं की गई है। कांग्रेस ने मौके का फायदा उठाते हुए यह घोषणा की है कि ना केवल पुरानी पेंशन दी जायगी बल्कि केंद्र के समान महंगाई भत्ता दिया जायगा।
कांग्रेस देगी पुरानी पेंशन योजना का फायदा
कांग्रेस ने रविवार को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे केंद्र और राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारियों के विरोध का समर्थन करते हुए और अपना चुनावी दाव खेला है। दावा किया है कि राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित होने वाली महा रैली में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ से स्पष्ट है कि भाजपा सरकार राजनीति के अंतिम दिन की अब गिनती कर रही हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा है की पुरानी पेंशन योजना को लेकर यह विरोध सत्तापक्ष शासन के खिलाफ सरकारी कर्मचारियों के गुस्से को प्रदर्शित करता है। रामलीला मैदान में यह रैली जॉइंट फॉर्म फॉर रीस्टोरेशन का ओल्ड पेंशन स्कीम और नेशनल जॉइंट काउंसलिंग आफ एक्शन के बैनर तले आयोजित की जा रही थी।
आयोजन का दावा है कि इसमें 20 राज्यों के सरकारी कर्मचारियों द्वारा हिस्सा लिया जा रहा है। सरकारी कर्मचारी संगठनों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के लिए मांग कर रहे हैं जिसमें कांग्रेसने कहा है कि हमारी सरकार आते ही पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया जाएगा।
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मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर चुनावी रण तैयार
शासकीय कर्मचारियों की नाराजगी एक बार फिर मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार पर भारी पड़ने के आसार नजर आ रही हैं। जिसका असर मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में देखा जा सकता है सरकारी कर्मचारियों के द्वारा अपनी पेंशन बहाली को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खुला हुआ है। शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने महा शपथ ली थी की जात धर्म नहीं देखेंगे जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा उसी को वोट दिया जाएगा।
कार्यक्रम में संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीलेश शर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे नीलेश शर्मा ने कहा था “कि जो पेंशन की बात करेगा वही प्रदेश पर राज करेगा “ निलेश शर्मा ने आगे कहा था कि कर्मचारियों ने यह तय कर लिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव को जो भी प्रत्याशी वोट मांगने के लिए उनके दरवाजे पर आएगा तो घर पर पम्पलेट द्वारा लिख दिया जायगा की जो पेंशन की बात करेगा उसी को वोट दिया जाएगा अब देखना दिलचस्प होगा कि मध्य प्रदेश में शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों का वोट किसे सत्ता का ताज पहनाता है।